Tinnitus

Tinnitus

Tinnitus एक प्रकार की बीमारी होती है जिसमें मरीज़ को कई प्रकार की ध्वनि का एहसास होता रहता है, जैसे घंटी बजना, भिनभिनाहट या फुफकारने की ध्वनि, आदि । Mc Fadden ने ध्वनि को सचेतावस्था ध्वनि के रूप में परिभाषित किया है, जो मरीज़ के सिर में ही उत्पन्न होती है, वो भी किसी बाहरी स्त्रोत के बिना । ऐसी ध्वनि एक या दोनों कान में सुनाई दे सकती है, हालाँकि मरीज़ को कई बार भ्रम होता है की यह ध्वनि उसके सिर से आ रही है ।

Tinnitus की ध्वनि अलग-अलग प्रकार की होती है, जिसमें उसका स्वर ऊँचा या नीचा या बदलता हुआ हो सकता है, कभी यह ध्वनि लगातार हो सकती है या कभी रुक-रुक कर और इस ध्वनि की तीव्रता कभी तेज़, कभी धीमी या बदलती हुई हो सकती है ।

सामान्यतया जनता में Tinnitus की मौजूदगी बहुत आम होती है । यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है परन्तु उम्र के साथ-साथ बढ़ता जाता है । यह दोनों लिंग के लोगों में हो सकता है, परन्तु पुरुषों में सामन्यतया ज्यादा देखा गया है । Tinnitus के साथ श्रवण शक्ति भी जा सकती है, हालाँकि ऐसा हमेशा होना जरुरी नहीं होता ।


Tinnitus के कुछ मुख्य कारण हैं-

  • तेज़ ध्वनि सुनना
  • बढती उम्र की वजह से श्रवण शक्ति का हास अर्थात Presbyacusis
  • कान मने मेल का जमना
  • चोट- सिर में गहरी चोट, गर्दन की चोट
  • कान का संक्रमण – Otitis media, secretory otitis, labyrynthis.
  • दवाईयाँ – Tinnitus कुछ दवाईयों की वजह से भी हो सकता है – जैसे एसपिरिन, मलेरिया रोधी दवाईयाँ जैसे – quinine, chloro quinine, mycin group की एंटी बायोटिक दवाईयाँ जैसे Gentamycin, Streptomycin, कीमोथेरेपी की दवाईयाँ, कुछ diuretics.
  • Hypertension, anaemia, thyroid disorders, diabetes आदि चिकित्सकीय स्थितियाँ
  • Meniere’s disease.
  • Cerebellopontine angle के ट्यूमर जैसे acoustic neuroma.
  • अत्यधिक कैफीन का सेवन
  • शराब का सेवन
  • माइग्रेन

Tinnitus की शिकायत करने वाले मरीजों क०ओ audiological एवं गहन चिकित्सकीय जाँच करवानी चाहिए ताकि अन्तर्निहित कारणों का पता लगाया जा सके ।

प्रबंधन

इतिहास :

मरीज़ का गहन अध्ययन किया जाना चाहिए की ध्वनि कहाँ से उत्पन्न हो रही है, किस प्रकार की है तथा मरीज़ की जीवनचर्या को किस प्रकार प्रभावित करती है । टिनिटस दो प्रकार के होते हैं –

  • व्यक्तिपरक/Subjective : इस तरह की ध्वनि केवल मरीज़ को ही सुनाई देती है ।
  • वस्तुपरक/Objective : इस तरह का tinnitus मरीज़ एवं डॉक्टर दोनों को सुनाई देती है ।

Tinnitus जांचने के टेस्ट

  • Audiometry : श्रवण शक्ति का नुकसान, tinnitus की तीव्रता, उसका स्तर आदि जाँचने के लिए किया जाता है । Tinnitus को अक्सर श्रवण शक्ति के स्तर में बदलाव के साथ जोड़ा जाता है ।
  • Tinnitus matching : विभिन्न प्रकार की तीव्रता वाले tinnitus पर मरीज़ की जाँच की जाती है । मरीज़ को उसके भीतर सुनाई देने वाली tinnitus ध्वनि से मिलती जुलती हुई ध्वनि को पहचानने के लिए बोला जाता है । ध्वनि की आवृति मिलाने के बाद, उसका स्तर तथा तीव्रता भी मिलाये जाते हैं । अलग-अलग tinnitus से अलग-अलग बीमारियाँ जुडी हो सकती हैं । Meniere’s disease वाले patients में धीमी स्वर की ध्वनि देखी जाती है जबकि Ototoxicity वाले मरीजों में उच्च स्वर की ध्वनि सुनाई देती है ।
  • Impedance Audiometry : यह Eustachain tube की कार्यप्रणाली, मध्य कान का प्रेशर, Ossicular chain Integrity और Stepidial reflex जाँचने के लिए किया जाता है ।
  • कुछ मामलों में MRI जैसी इमेजिंग की जरुरत पड़ती है जहाँ CP angle के ट्यूमर जैसे कि acoustic neuroma होने का संदेह हो ।

उपचार

Tinnitus का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि बिमारी की वजह क्या है । निम्नलिखित कारणों के आधार पर उपचार करके tinnitus का प्रबंधन किया जा सकता है ।

Tinnitus के उपचार में प्रयुक्त उपकरण :

  • Hearing Aids : जब tinnitus एवं बहरापन साथ-साथ होते हैं, तब ध्वनि के विस्तारण (amplification) से श्रवण शक्ति में सुधार आता है तथा tinnitus में भी सुधार दिखाई देता है ।
  • Masking Devices : इन उपकरण से कान में अतिरिक्त ध्वनि पैदा की जाती है जिससे tinnitus की तकलीफदेह ध्वनि से राहत मिलती है । यह एक प्रकार की सफ़ेद ध्वनि होती है जो कष्टदायी नहीं होती तथा लगातार बजने वाली ध्वनि से ध्यान भटका देती है । Tinnitus का मिलन करने से डॉक्टर के लिए Masker की आवृति तय करना आसन होता है ।
  • Tinnitus Retraining Theropy : Jasterboff ने यह थैरेपी Habituation (आदतन) थैरेपी के तौर पर प्रस्तावित की थी । इस उपचार में मरीज़ द्वारा बहुत ही कम आयाम पर सुनाई देने वाले Masker का प्रयोग किया जाता है, जिससे मरीज़ का ध्यान परेशान करने वाली tinnitus की ध्वनि से हटाया जा सके ।
    मरीजों को परामर्श सत्र दिए जाते हैं ताकि वे tinnitus की ध्वनि को अवचेतन स्तर पर सामान्य स्थिति के रूप में देखें तथा उससे परेशान न हो । यह उपचार काफ़ी प्रभावी माना जाता है । हालाँकि इसके उचित परिणाम मिलने के लिए इसका कम से कम 12-18 महीने तक पालन करना जरुरी होता है ।
  • Biofeedback : यह एक विश्राम आधारित तकनीक है जिसमें मरीज को कष्टदायक tinnitus की ध्वनि के जवाब में होने वाली तनावयुक्त प्रतिक्रिया पर नियंत्रण करना सिखाया जाता है ।
  • Cognitive Theropy : इस उपचार के तहत मरीज़ के साथ tinnitus के भावनात्मक केंद्र, कथित प्रभाव तथा शरीर की तनाव प्रतिक्रियाओं के बारे में गहन परामर्श किया जाता है ।
  • Cochlear Implants : जिन मरीजों में श्रवण शक्ति का गहन नुकसान हुआ हो तथा बहुत ही कष्टप्रद tinnitus हो, उनका cochlear implants के जरिये tinnitus पर नियंत्रण किया जा सकता है तथा श्रवण शक्ति में भी सुधार होता है ।

Tinnitus का सामना करने की युक्तियाँ

  • आस-पास का शोर बढ़ा देना : धीमे स्वर में संगीत सुनने से मरीज़ का ध्यान tinnitus से भटकाया जा सकता है ।
  • ख़ामोशी से बचाव : Tinnitus की ध्वनि अक्सर भोर अथवा रात के सन्नाटे में ज्यादा परेशान करती है ।
    मरीज़ के अत्यधिक नीरव अथवा चुप्पी वाले हालात से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसे में tinnitus की ध्वनि अधिक तेज़ सुनाई देती है तथा परेशान करती है ।
  • धूम्रपान से बचें : धूम्रपान करने से श्रवण तंत्रिका को रक्त पहुँचाने वाली धमनियों का संकुचन हो जाता है, जिससे संवेदनशील श्रवण कोशिकाओं का रक्त प्रवाह रुक जाता है और उससे tinnitus ज्यादा बढ़ जाता है ।
  • शराब का पूर्णतः प्रतिबन्ध
  • तेज़ ध्वनि से बचाव : अगर आप ऐसे वातावरण में कार्य करते हैं जहाँ आस-पास अत्यधिक तीव्रता की आवाजें होती हों तो आप को अपनी नाजुक श्रवण तंत्रिकाओं को नुकसान से बचाने के लिए कान के संरक्षण उपकरण जरुर पहनने चाहिए ।

Tinnitus से जुडी भ्रांतियां

  • यह लाइलाज बिमारी है ।
  • इससे श्रवण शक्ति का ह्वास होता है ।
  • श्रवण सहायक तंत्र से कोई मदद नहीं मिलती है ।
  • एक किसी मष्तिष्क रोग का संकेतक है ।
  • यह जानलेवा होती है ।

अगर उचित मूल्यांकन एवं जाँच की जाये तथा सही समय पर निदान किया जाये, तो tinnitus को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है ।

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